एक बार सुन लेते उसकी बात
और ये मत कहना की उसने बताया ही नहीं
अनगिनत कोशिशें की थी उसने
पर तुमने ध्यान ही नहीं दिया
परेशान थी वो
तुमसे
तुम्हारी दकियानूसी सोच से
समाज से
खुद से
दम घुटता था उसका
आंसू तो ऐसे बहते थे अकेले में
जैसे किसी ने नल खुला छोड़ दिया हो
इसीलिए अकेले रहना पसंद नहीं था उसे
इसीलिए घर में पैर नहीं टिकते थे उसके
कभी दोस्तो से मिलना
कभी शादी पार्टी में जाना
कभी पार्क में यूंही घंटो चक्कर लगाना
ये सब तो बहाने थे
तुम फिर भी नहीं समझे
या शायद तुम भी
खुद में इतना मशगूल थे
की समझने का वक्त ही नहीं मिला
की जो जैसा दिखता है वैसा होता नहीं
क्युकी गहराई बहुत है
मानवीय क्रियाओं और उनके पीछे छुपी भावनाओं की
इसलिए एक बार अगर बात की होती उससे
तो शायद वो अपनी भावनाओं के बांध के दरवाजे खोल देती
और जो समेट कर रखे थे आंसू वो बह पड़ते
उदासी की दास्तान सुना देती वो
और उम्मीद करती की तुम समझ जाओगे
खैर अब क्या मतलब ये सब सोचने से
भाग गई वो दूर तुम सबसे
या शायद
भाग गई वो दूर, बहुत दूर, खुद से