A deep dive into the mind of Adarsh Mangal. I post here what I don't post anywhere else.
Monday, 16 May 2022
अप्सरा
Sunday, 1 May 2022
गर अमावस के चाँद को नहीं देखा तो क्या देखा
धर्मवीर भारती की गुनाहों का देवता की समीक्षा
नमस्कार मित्रो,
हाल ही में मैंने धर्मवीर भारती जी द्वारा लिखी गयी गुनाहों का देवता पढ़ी और दिल के जज़्बातों को छिन्न भिन्न कर देने वाली कहानी है ये। ये पढ़ने के बाद यही उम्मीद करता हु की मैं सुधा की तरह पवित्र, बिनती की तरह निःस्वार्थ, गेसू की तरह निष्ठावान और पम्मी की तरह सुलझा हुआ बन पाउ जीवन मे। दूसरे और तीसरे खंड में रह रह कर सुधा मुझे जॉन एलिया की याद दिलाती रही (किस तरह ये किसी और दिन बताऊँगा)। चन्दर की तरह अस्पष्ट और भावुक हो जाना चाहता हु पर किसी के दिल ओ दिमाग को ठेस नही पहुचाना चाहता।
कही न कही ये कहानी मुझे अपनी सी लगने लगी क्योंकि मैंने भी चन्दर ही कि तरह उस लड़की को अस्वीकार दिया था जो मुझसे बेइंतेहा मोहब्बत करती थी। कारण ये था कि मैं उसके प्यार के लायक नही था और ना ही उसको बदले में वो प्यार और स्नेह दे पा रहा था। दोषी और स्वार्थी समझने लगा था खुदको।
धर्मवीर भारती जी ने प्रेम के सब पहलुओ को बहुत ही सुंदर तरीके से दिखाया है चाहे वो पवित्रता हो, वासना हो, सेवाभाव हो, नफरत हो, ग्लानि हो या और जितने भी अनगिनत मायने हो सकते है प्रेम के।
चाहे ये कहानी कितनी ही पुरानी हो पर आज भी प्रेम के अंतर्द्वंद को बहुत सटीक तरीके से प्रस्तुत करती है।
मैं नही जानता धर्मवीर भारती जी के मन मे क्या चल रहा होगा जब उन्होंने ये कहानी लिखी पर शायद ये कहानी लिखते समय उनकी मनोदशा भी चन्दर की तरह ही रही होगी जो कि जैसे जैसे कहानी बढ़ती गयी, पहले पम्मी और फिर बर्टी की मनोदशा में तब्दील हो गयी और अंततः गेसू की मनोदशा के साथ उन्होंने इस कहानी का उपसंहार किया।
हर हिंदी साहित्य प्रेमी को यह उपन्यास जरुर पढ़ना चाहिये।
धन्यवाद।
कभी शौक से हमारे महखाने में वक्त गुजारने आना
कभी शौक से हमारे महखाने में वक्त गुजारने आना थोड़ी शराब पीकर खराब दिन की सूरत सुधारने आना मिजाज़ कुछ उखड़ा उखड़ा रहता है तुम्हारा अपनो से रू...
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ख़्वाहिश है तेरे प्यार में बदनाम हो जाउ जो तू ना मिले तो मैं गुमनाम हो जाउ इक नज़र जो तू देख ले इस नाचीज़ को तेरी आँखों से छलकता जाम हो जाउ सूर...