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Tuesday, 25 April 2023

कभी शौक से हमारे महखाने में वक्त गुजारने आना

कभी शौक से हमारे महखाने में वक्त गुजारने आना
थोड़ी शराब पीकर खराब दिन की सूरत सुधारने आना

मिजाज़ कुछ उखड़ा उखड़ा रहता है तुम्हारा अपनो से
रूठे हुए रिश्तों को जाम की खनक से मनाने आना

कहानियां किस्से तो बहुत हुए होंगे तुम्हारे साथ भी
कभी फुर्सत से वो कहानियां किस्से दोबारा सुनाने आना

और वो जो गम छुपा है तुम्हारी झूठी मुस्कान के पीछे
दो जाम पीकर उस काली रात को भुलाने आना

माना दो जाम से कुछ होने नही वाला तुम्हारा यहाँ
कुछ नही तो दो पल खुशी के तुम चुराने आना

Wednesday, 1 March 2023

ख़्वाहिश है तेरे प्यार में बदनाम हो जाउ

ख़्वाहिश है तेरे प्यार में बदनाम हो जाउ
जो तू ना मिले तो मैं गुमनाम हो जाउ

इक नज़र जो तू देख ले इस नाचीज़ को
तेरी आँखों से छलकता जाम हो जाउ

सूरत तेरी कुछ इस तरह निहारता रहू
यहीं बैठे बैठे सुबह से शाम हो जाउ

जो गुज़ारनी पड़े तेरी ख़्वाहिश में जिंदगी
तो मैं खुशी खुशी नाकाम हो जाउ

Sunday, 1 May 2022

गर अमावस के चाँद को नहीं देखा तो क्या देखा

गर अमावस के चाँद को नहीं देखा तो क्या देखा
उसके जाने के बाद रास्ता नहीं देखा तो क्या देखा

मतभेद, कहासुनी, रूठना-मनाना तो कहाँ नहीं होता
उसके गुस्से के पीछे प्यार नहीं देखा तो क्या देखा

बिछड़ गए क्योंकि विचार, ख़यालात, तौर-तरीके अलग थे
बस सूरत देखी और स्वभाव नहीं देखा तो क्या देखा 

भले ही गुज़ार आये उस तवायफ़ के साथ रात तुम
सब कुछ देखा पर आँखों में नहीं देखा तो क्या देखा

Saturday, 12 February 2022

अब कहने को बचा ही क्या

अब कहने को बचा ही क्या
जो कहना था वो कह चुके

अब तो रोया भी नही जाता
जितने आँसू थे वो बह चुके

तुम तो अब और दर्द ना दो
हम बेइंतेहा दर्द सह चुके

अब कहने को बचा ही क्या
जो कहना था वो कह चुके

Saturday, 9 October 2021

लिख दु कोरे कागज पर या ख्वाबो में लाकर तुम्हे देखु

लिख दु कोरे कागज पर या ख्वाबो में लाकर तुम्हे देखु
तुम इतनी खूबसूरत हो कि सामने बिठाकर तुम्हे देखु

मत जाओ मुझे छोड़कर, दूर तुमसे एक पल रहा ना जाये
आओ तुम्हे आघोष में लू कि बाहो में भरकर तुम्हे देखु

रुक जाओ, तुम मत जाओ, क्यों तुम रुक नही सकती
अच्छा! कुछ पल तो यहाँ बैठो कि जी भरकर तुम्हे देखु

दूर मुझसे तुम जा रही हो, यूँ दिल बैचेनी में धड़क रहा है
आँसू मेरे अविरल बह रहे कि आँख भिगोकर तुम्हे देखु

तुझे मुझसे इतनी नफ़रत है कि बर्बाद हो जाऊ

तुझे मुझसे इतनी नफ़रत है कि बर्बाद हो जाऊ
बर्बादी के बहाने ही सही, मैं तुझे याद तो आऊ

इतना मत सोचना मुझसे इंतकाम के बारे मे
कही यादों मे तेरी मैं आबाद ना हो जाऊ

तेरा जिक्र मेरी कलम से निकले हर लफ्ज़ मे होता है
काश तेरी शायरी मे मैं भी इरशाद हो जाऊ

इतना भी मत लिख देना मेरे बारे मे कही
कही तेरे हर लफ्ज़ की मैं बुनियाद ना हो जाऊ

किसी गुमनाम को ख्वाबो में ला मैं यूँ याद करता रहा

किसी गुमनाम को ख्वाबो में ला मैं यूँ याद करता रहा
जीवन अपना संग उसके बिताने के सपने बुनता रहा

नाम पता न शक्ल सूरत कुछ भी न ज्ञात मुझको
फिर भी मैं तन्हाई में बैठा आवाज उसकी सुनता रहा

कही नींद से जाग न जाऊ और हसीन ख्वाब ये टूट न जाये
कही साथ उसका न खो दु इसलिए मैं नींद में भी डरता रहा

सूरत से अनजान उसकी तस्वीर में उसको कैसे सजाऊ
तस्वीर उसकी शब्दो से मेरे कविता में मेरी रचता रहा

कभी शौक से हमारे महखाने में वक्त गुजारने आना

कभी शौक से हमारे महखाने में वक्त गुजारने आना थोड़ी शराब पीकर खराब दिन की सूरत सुधारने आना मिजाज़ कुछ उखड़ा उखड़ा रहता है तुम्हारा अपनो से रू...