अगर में तुमसे बिछड़ जाऊ तो क्या मुझे याद करोगी?
बेफिक्र सी हो किस्मत का खेल समझ लोगी या
मुझसे दुबारा मिलने की खुदा से फरियाद करोगी?
वो किसी मनचली की तरह मुझे मिलने बुलाना
वो किसी भी वक़्त बेवक़्त मुझे फ़ोन कर सताना
वो कल सुबह की फ़िक्र किये बिना मुझे रातभर जगाना
अपने कहे अनकहे किस्से और गहरे राज़ मुझे बेजिझक सुनाना
तुम्हारी नादानियों से जब तंग आ जाता हूँ तो मुझे मनाना
जब किसी मुसीबत में होता हूँ तब मुझे गले से लगाना
तुम्हारी गोदी में सिर रखता हूँ तो प्यार से थपथपाना
क्या मेरे बाद भी किसी और के साथ करोगी?
अगर में तुमसे बिछड़ जाऊ तो क्या मुझे याद करोगी?
बेफिक्र सी हो किस्मत का खेल समझ लोगी या
मुझसे दुबारा मिलने की खुदा से फरियाद करोगी?
जैसे मेरी जिंदगी में तुम खुशियो की बहार बनके आयी
जाने पहचाने चेहरो के बीच जैसे कोई गुमनाम बनके आयी
मेरी सुनी पड़ी जिंदगी में खुशनुमा शाम बनके आयी
बिछड़ चुका था खुद से ही मैं, तू मेरा नाम बनके आयी
मेरी इस बेकाम सी जिंदगी में मेरा इनाम बनके आयी
लाख मुद्दतो के बाद तू खुदा का पैगाम बनके आयी
क्या मेरे बाद भी किसी और कि जिंदगी ऐसे ही आबाद करोगी?
अगर में तुमसे बिछड़ जाऊ तो क्या मुझे याद करोगी?
बेफिक्र सी हो किस्मत का खेल समझ लोगी या
मुझसे दुबारा मिलने की खुदा से फरियाद करोगी?