Saturday, 9 October 2021

अंधेरी रातो में

अंधेरी रातो में
नींद से ओझल आँखों से
अनंत आकाश को
झरोखे की दहलीज़ से देखना
कुछ तो बात जरूर है
उन आँखों में कुछ कहानी तो जरूर है
जो लबो पर आके ठहरी हुई है
पर कोई है नहीं लायक शायद
उस कहानी को सुनने के लिए
इसलिए तुम अकेले
अंधेरी रातो में
नींद से ओझल आँखों से
अनंत आकाश को
एकटक बिन पलक झपकाए
उस अनजान शख्स से
जो तुम्हारी कल्पनाओ में
सजीव बन तुम्हारे पास बैठा है
बाते किये जा रहे हों
और बिन होंठ हिलाये
कई बातें कह रहे हो
और अंदर ही अंदर
अपने आप से भी कह रहे हो
काश!!! ये काल्पनिक इंसान
सच मे मेरे पास बैठा होता
तो मैं अपना दिल खोल के
उसके पास रख देता
पर अब बस
अंधेरी रातो में
नींद से ओझल आँखों से
अनंत आकाश को
झरोखे की दहलीज़ से देख रहे हो

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