Saturday, 9 October 2021

परिचय

कठोर भी हूँ, नरम भी हूँ
स्वभाव से गरम भी हूँ
आजमा के देख चरित्र को
आँखों में लिए शर्म भी हूँ
मैं तेज धूप में खड़ा
प्रचंड ताप से लड़ा
मुश्किलो के आगे मैं
यूँ सीना तान के अड़ा
सीने में मेरे दिल भी है
चेतनापूर्ण मन भी है
संघर्ष भरे जीवन के लिए
क्षमतापूर्ण तन भी है
माँ बाप का आशीर्वाद है
रिश्ते मेरे सब पाक है
मुसीबत में जो पड़ जाऊ
दोस्तो का भी साथ है
अकेला ही चला था मैं
मंजिल के पीछे पड़ा था मैं
दूर तलक अंधेरा था
सुनसान सड़क पे खड़ा था मैं
मशाल हाथ में लिए
ज्वाला सीने में लिए
बढ़ चला अंधेरे को चीरता
लक्ष्य आँखों में लिए
हूँ महादेव का भक्त मैं
खड़ा कठोर वक़्त में
बाहर से दिखता हूँ शिथिल
अंदर से अभी भी सख्त मैं
खामोश हूँ, चुपचाप हूँ
दबा हुआ जज्बात हूँ
जो बयां कुछ करना हो
मैं तेज़ धार तलवार हूँ
ना बोलना भी नाइंसाफी है
कुछ गलती हो तो माफी है
अच्छा अब बस हुआ
इतना परिचय काफी है

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