थोड़ी शराब पीकर खराब दिन की सूरत सुधारने आना
मिजाज़ कुछ उखड़ा उखड़ा रहता है तुम्हारा अपनो से
रूठे हुए रिश्तों को जाम की खनक से मनाने आना
कहानियां किस्से तो बहुत हुए होंगे तुम्हारे साथ भी
कभी फुर्सत से वो कहानियां किस्से दोबारा सुनाने आना
और वो जो गम छुपा है तुम्हारी झूठी मुस्कान के पीछे
दो जाम पीकर उस काली रात को भुलाने आना
माना दो जाम से कुछ होने नही वाला तुम्हारा यहाँ
कुछ नही तो दो पल खुशी के तुम चुराने आना