Saturday, 9 October 2021

किसी गुमनाम को ख्वाबो में ला मैं यूँ याद करता रहा

किसी गुमनाम को ख्वाबो में ला मैं यूँ याद करता रहा
जीवन अपना संग उसके बिताने के सपने बुनता रहा

नाम पता न शक्ल सूरत कुछ भी न ज्ञात मुझको
फिर भी मैं तन्हाई में बैठा आवाज उसकी सुनता रहा

कही नींद से जाग न जाऊ और हसीन ख्वाब ये टूट न जाये
कही साथ उसका न खो दु इसलिए मैं नींद में भी डरता रहा

सूरत से अनजान उसकी तस्वीर में उसको कैसे सजाऊ
तस्वीर उसकी शब्दो से मेरे कविता में मेरी रचता रहा

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