बड़े अनुभवी इंसान लगते हो
होंठो की शबनम भरी मुस्कान के पीछे छुपी वो तन्हाई की शुष्कता को भली भांति भाँप लेते हो
ये हुनर जन्मजात है तुम्हारा
या फिर तुम भी ऐसी किसी तन्हाई भरे अंधेरे कमरे के वासी हो
जहाँ तुम हो
कुछ पुरानी यादें है
कुछ अनसुने किस्से है
कुछ गहरे राज़ है
और बेइंतेहा परिस्तिथियों के परिदृश्य है
जिनकी सोच में तुम डूबे रहते हो
बड़े अनुभवी इंसान लगते हो
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