Saturday, 9 October 2021

किस हद तक चाहू में तुझे

किस हद तक चाहू में तुझे
फूलो की कलियों में तू दिखती
रातो की गलियो में तू दिखती
सुनसान सड़क के किनारो पर तू दिखती
जहाँ कदम वहाँ निशानों में तू दिखती
रोशनी की चमकाहट में तू दिखती
जहाँ नजर वहाँ बाहें फेलाए तू दिखती
मेरे दिन और रातो में तू दिखती
मेरे ख्वाबो और खयालो में भी तू ही दिखती

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