Tuesday, 9 November 2021

बड़े अनुभवी इंसान लगते हो

बड़े अनुभवी इंसान लगते हो
होंठो की शबनम भरी मुस्कान के पीछे छुपी वो तन्हाई की शुष्कता को भली भांति भाँप लेते हो

ये हुनर जन्मजात है तुम्हारा
या फिर तुम भी ऐसी किसी तन्हाई भरे अंधेरे कमरे के वासी हो
जहाँ तुम हो
कुछ पुरानी यादें है
कुछ अनसुने किस्से है
कुछ गहरे राज़ है
और बेइंतेहा परिस्तिथियों के परिदृश्य है
जिनकी सोच में तुम डूबे रहते हो

बड़े अनुभवी इंसान लगते हो